Monday, January 7, 2013

ना वक़्त , ना जगह, कुछ भी नहीं है हमारा,
फिर भी कसक के मंज़र दिल से निकलते नहीं।

यूँ खिड़कियों के कांच से तकते रहते हैं, वो हमें, हम उन्हें ,
फिर भी दरवाज़े खुलते नहीं,

वो कसक की आहें मिल जाती हैं दबे पाँव ,
कान लगें हैं जो दोनों के ही, उन आहटों के लिए,
हर कदम हमारा भी ताड़ लेते हैं वो,
फिर भी दरवाज़े खुलते नहीं,

आँखें तलाश कर लेती हैं , आँखों को भीड़ में,
मिलने से शायद डरती हैं ज़रा .
ना पढ़ ले कहीं , उनकी आँखों की हम ज़ुबां ,
कि वो बेरुखी के परदे, आँखों से हटते नहीं .

क्या करूँ  मगर, मेरे ख्वाबों को नहीं मेरे असमंजस की क़द्र ,

कि ये दिल के धागे यूँ  अनबन से कटते नहीं .

Some more

हमें जानने की कोशिश अब हम खुद भी नहीं करते,
कि उन अंधेरों में जाना अब नश्वार नहीं,
उनकी वो मशाल किसी और की हो गई अब,


उन गहराइयों के सन्नाटे का आलम अब ये है,
कि खुदा भी वहां कहीं मेरी कब्र टटोलता होगा .

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जीने के हक़ की बातें करता है ग़ालिब ,
हक़ तो सारे उसी दिन छीन लिए थे,
जिस दिन मेरे खुदा को मेरी बाहों से छीना था .

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इम्तहान ज़िन्दगी के तो हर दिन देता आया हूँ मैं  ,
एक दिन ज़िंदगी को भी इम्तहान देने दे,
खून के आंसू तो ताउम्र पिए हैं मैंने,
इस एक दिन उसके साथ का जाम पीने दे .


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Musings in a comsumer awareness meeting



वो उसे ग्राहक के हित के बारे में चेता रहे हैं ,
जागो ग्राहक जागो का मतलब समझा रहे हैं,
वो क्या जाने कि कुछ खरीदने की क्षमता नहीं उसकी,
कि नेता और बाबू जो उसके हिस्से की रोटी खा रहे हैं।


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बहुत खबरें हैं जहां की, कहते हैं वो ,
टीवी, अखबार, दुनिया की बातें करते हैं वो ,
कुछ बताएं इस जहां का आलम उन बूढ़ी आँखों को भी,
जो आज भी थर्राई हुई उस राह को तक रहीं हैं .

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गलतियाँ दोहराने को मना करते हैं वो,
आग में बार बार जलने को यूँ कौन हाथ देता है ,
वो क्या जाने कि गलतियाँ अब आदत बन चुकी हैं उसकी,
कि वो हर गलती का मज़ा ही जीने का नशा देता है .

                    
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भूलने की बातें ना कर ग़ालिब,
कि भुलाने की तकदीर अब हमारी नहीं,
ऐसा ना हो की उसे भुलाते भुलाते,

एक दिन ये बदन सांस लेना ही भूल जाए .

Tuesday, March 27, 2012

I am waiting........

Here I am love, right where you said you'll find me again,
And you know what, honey?

I am waiting
I am waiting
I am waiting..........

Surrounded by my desecrated dreams, I am waiting
Slashed and cut by those broken shards, I am waiting,
Caught in the throes of hell, I am waiting,
Tangled in the burning shackles, I am waiting,

And,
When the pain seizes my soul,
When in screams my tongue does roll,
Yours is the name ever on my lips,
Your touch still tingling the skin of my tips,

You'll come, I know, to take me away,
You'll come, I believe, and my mind never sways,

Free me from the shadows, take me in your arms,
Keep me in you where I belong,
Surround me with yourself, protect me from myself.

'Coz love, I m cold, so bitterly cold........
Cold on the inside, heart surrounded by an ice wall,
And Nothing and no one can get me warm..

Just come, and take me wherever you are,
And honey, I promise
To you I'll belong.

Saturday, January 28, 2012

बारिश की टिप टिपाती बूंदों से,
मुझे तुम्हारा वो कहकहे लगाना याद आता है,

ठन्डे पानी के गिलास पर ढलकती हुई शबनम से,
तुम्हारा वो मेरी बांहों में झूल जाना याद आता है,

सिल पर पड़े हुए उस चाय के कप के निशान से,
हमारा वो साथ पल बिताना याद आता है,

जब कभी गर पहनती हूँ
मै हाथों में चूड़ियाँ,
मुझे तुम्हारा वो अठखेलियाँ करना याद आता है,

शाम की ढलती धूप में जब चलती हूँ मै,
मुझे वो अपने साथ तुम्हारा साया याद आता है,

रात को थककर जब घर आऊं मै,
तुम्हारा वो पास बुलाना याद आता है,

नहीं पसंद मुझे दुनिया की कहानियाँ अब कोई,
हरेक में हमारा फ़साना याद आता है,

पीने की हद भी पार ना कर पायी मै,
हर जाम में तुम्हारा अक्स याद आता है,

जब हर रात भिगोती हूँ तकिये को पलकों तले,
तुम्हारा वो अपनी बाहों में गर्माहट देना याद आता है,

अँधेरे सन्नाटे अब पहले की तरह डराते नहीं मुझे,
तुम्हारा वो आवाज़ देना याद आता है,

यूँ तो याद
हैं मुझे हमारे साथ बिठाये हुए सभी पल,
पर जानते हो?

सबसे ज्यादा तुम्हारा यूँ मुझे भीड़ में अकेला छोड़ जाना याद आता है.









तुम्हारे उस सवाल का ये अनकहा जवाब.....

उनकी बाहों के दायरे में आने के बाद,
लगता है की जैसे सालों तक उस बंजर रेगिस्तान की तपती हुई ज़मीं पे चलकर ,
में आखिर घर आई हूँ आज

इस मुरझाये , नंगे दरख़्त पर,

फिर कोई कोंपल खिली है आज,

वो उनका मेरे माथे को चूमना,

वो लिपट जाना मुझसे,
जैसे उनकी दुनिया का सबसे नायाब तोहफा हूँ में,
आज शिद्दत बाद खुद की हदों को लांघा है मैंने
जो खुद को वो महसूस करने दिया
की वो इक पल उनकी गर्माहट में दुनिया से महफूज़ हूँ में ..

आज जब ज़ख्म ताज़े करने बैठी तो जाना,
वक़्त की खिसकती रेत, और गम की सिसकियों में,
कितना कुछ खो चुकी में,
और कितना कुछ खोना बाकी है अभी,

वो कहते हैं कि पास रखती हूँ लेकिन पास आने देती नहीं उन्हें
कैसे समझाउं उन्हें कि प्यार कि आदत ना पड़ जाये मुझे,
यहाँ महखाने के छलकते जामों के बीच भी,
हमेशा से खाली ये पैमाना है,
और ठिठुरती हुई ठण्ड सी सुनसान, अंतहीन इस सड़क पर,
मुझे यूँ अकेले ही जाना है......................

मेरा वजूद जो तुमसे था ..

आज तुम्हें फिर उसके साथ जाते देखा,

उसका हाथ पकड़े यूँ मुस्कुराते देखा,

मेरे आस पास होने की आहट भी थी तुम्हें,

फिर तुम्हें मेरा वजूद यूँ ही धूल में उड़ाते देखा |