कुछ टूटे, कुछ अधूरे, कुछ पूरे, कुछ भूले बिसरे सपने, कुछ अरमान जो हलकी सी आहट के साथ, बिना दस्तक दिए आँखों में उतर जाते हैं, या कभी वजूद के टुकड़े करते हुए, रेत के ज़लज़ले की तरह हथेलियों से निकल जाते हैं, मेरे उन्ही कुछ सपनों, ख्वाबों, और अरमानों का अक्स है ' सपनों की आहट '
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