Saturday, January 28, 2012

वो इक धुँध सी सुबह थी ....

आज रास्ते पर धूल कुछ उखड़ी सी थी...
शायद वो वहां से आज गुज़रा होगा..

वो फूल कुछ ज्यादा ही महके थे आज,
शायद उसका साया उनपे पड़ा होगा..

सुबह की धूप ज्यादा खिली थी आज,
वो उसकी गर्माहट में कुछ देर खड़ा होगा....

हवा में ठंडक घुली सी थी,
उस हवा ने शायद उसे छुआ होगा...

सुबह मेरे गालों पर एक लाली सी थी,
शायद वो सपनों में मेरा हुआ होगा.

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